जिंदगी के कुछ पल, लम्हे हमारे रिश्तोंकी गहराईयों को हमेशा के लिए यादगार बना
देते है. अगर आपकी फैमिली व्यक्तिओं के संख्यासे बडी है तो आपके रिश्तोंके रंगभी
गहरे, खट्टे-मिठ्ठे होते है. रिश्ते निभाएँ नही जाते,
रिश्ते अपनी भूमिकाओंसे और अपनेपनसे सिंचते है, बडे होते है, फलाते फुलते है. आज
हिरानी फैमिलीसे संबंधी रिश्तोंकी अनकही कहानी आपको शेअर करना जरुरी. क्योंकी हम
रिश्तोकी कई कडीओंको जोडते आए है और रिश्तोंको अपनेपन से हमने सिंचाभी है.
इसी दरम्यान ख्रिसमस की
छुट्टी होनेसे हमारी दुसरी बहन सौ. भारती (रिचा) मुकेश चावला भी जलगाव पधारी थी. उसके साथ कन्या निधि
और लडका हर्ष भी आए है. पुरी फैमिली इकट्टा हो गयी थी. बडाही आनंदपूर्ण योग था.
बहुत दिनों के बाद हम सभी एक जगह मेल मिलाफ बाना रहे थे. हमारे पिताजी खुश थे.
बच्चे घुलमिल गए थे. बच्चों समेत बडों की भी धम्माल मस्ती शुरु थी और गप्पाएँ झड
रही थी. हर एक को अवकाश था. इसालिए फैमिली बातों समेत व्यावहारिक विषय भी चर्चाके
थे. हम सभीने दोपहर का भोजन साथ में किया. विषय हामारे बचपनकी यादोंका था. पिताजी
कुछ विषय बताते और हमारी याँदे ताजा होती थी.
याँदे आदमी की मेमरी सेव्हर
होती है. याँदे डिलीट नही होती. कुछ धुंदली जरुर होती है. किंतु यादोंको रिफ्रेश
किया जाए तो मन की प्रसन्नता बढजाती है. रिश्तों की मिठ्ठास बढ जाती है. बस्स इसी
अंदाजको हमने अनुभवित किया. हमारे परिवारके बहुत सारे फोटो आज भी संग्रहित है.
फोटो के अल्बमने याँदोको तरो ताजा किया. कुछ फोटो हसी मजाक के थे. कुछ याँदो को
कुदेरनेवाले थे. कुछ अनुठे और हटके थे. हर फोटो को लेकर बाते हुई. हम पुरानी
यादोंसमेत भुतकाल की सैर कर आए.
हमारे इस गेट टुगेदर का
माहौल पिताजी और माँ को बडा आनंद दे रहा था. उनके चेहरेकी प्रसन्नता हमेभी अनुभवित
हो रही थी. बच्चोंको एक साथ देखकर उन्हे समाधान था. क्योंकी हिरानी परिवारके थर्ड
जनरेशका यह स्नेहबंधन था.
जिजाजी किशोरजी भावूक मूड
मे थे. हमने पूछा तो बोले, आपकी बहानके साथ मैं २५
सालसे हूँ. किसी भी प्रकारकी शिकायत ना कर वो हमारा परिवार संभाल रही है. आज मै
सिर्फ उसकोही सुनना चाहता हूँ, उसके साथही दिन बिताना
चाहता हूँ. हमारे इस फैमिली गेट टुगेदर मे छोटे दामादजी मुकेशजी उपलब्ध नही थे. हम
उन्हे मीस कर रहे थे व हमारा बडा भांजा लडका अंकुश भी साथ नही था. अंकुश सभी का
लाडला है. क्योंकी हिरानी और कालडा परिवारमे का वह बडा बच्चा है. सभीने उसे लाड
प्यारसे बढाया है.
फैमिली गेट टुगेदर आनंददायी
था. पत्नी डॉ. सौ. ज्योती और बहू डॉ. सौ. बिंदीयाने सभी का आदर और प्रेमपूर्व आदरातिथ्य किया.
बच्चा पार्टी तो दिनभर मस्ती मे लगे रहे. संध्या समयपर जिजाजी और सौ. संगीता औरंगाबाद
के लिए रवाना हुए. थोडी चुटपूट होती रही. फिरभी मैंने भगवान से आभार व्यक्त किया,एक अच्छा दिन हमारे परिवारको साथ रहने का अवसर देने के लिए.
आज इन बातों को दुसरों से शेअर करने का हेतू केवल मात्र रिश्तों की गरमाहट महसूस
करना है. हम हमारे पास के रिश्तों मे अपनापन अगर ढुंढे और अपनी भूमिका आदर,
अपनेपन से निभाएँ तो स्वर्ग कहाँ होता है इसकी तलाश किसी को
नही होगी ...
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